मध्य प्रदेश: लहसुन की फसल को खेत में जलाने पर मजबूर हुए किसान, वहीं चीन से आयात हो रहा लहसुन

इस साल देश में लहसुन (Garlic) का बंपर उत्पादन हुआ है, जिसके कारण बाजार में लहसुन की भरपूर उपलब्धता है। जरुरत से ज्यादा सप्लाई होने के कारण इन दिनों किसानों को लहसुन के मन मुताबिक़ दाम नहीं मिल पा रहे हैं। मध्य प्रदेश की कई मंडियों में तो यह हालात हो चुके हैं कि आढ़तिये लहसुन की फसल को कौड़ियों के दाम खरीदने के लिए तैयार हैं। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए प्रदेश के लहसुन किसान निराश होते जा रहे हैं। अब किसानों ने अपनी लहसुन की फसल को खुले में फेंकना शुरू कर दिया है, तो कई किसान अपनी फसल को नदी में फेंक आए हैं। बीते दिनों इस प्रकार के घटनाक्रमों के वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए हैं। अगर कृषि उपज मंडी में लहसुन के वर्तमान भाव की बात करें यह मात्र 2 से 5 रूपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। जबकि इसी समय पिछले साल लहसुन का भाव 25-30 रूपये प्रति किलो था। लहसुन का गिरता हुआ भाव किसानों के लिए एक बड़ी क्षति है, जिसके कारण किसान पूरी तरह से निराश हो चुके हैं। अभी खबर आई है कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में कई किसानों ने लहसुन की फसल के पर्याप्त दाम न मिलने के कारण उसमें आग लगा दी। इस मामले में किसानों का कहना है कि मौजूदा लहसुन के भाव इनपुट लागत और बाजारों तक परिवहन लागत को भी कवर नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वो इस फसल को बेवजह घर में नहीं रखना चाहते।


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चीन से आयात हो रहा है भारत में लहसुन

एक तरफ भारतीय किसानों को लहसुन के पर्याप्त दाम नहीं मिल पा रहे हैं, वहीं चीन से बड़ी मात्रा में भारत में लहसुन आयात किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण चीनी लहसुन में बड़े बल्ब का होना है। भारतीय बाजार में इन दिनों बड़े बल्ब वाली लहसुन दिनोंदिन फेमस होती जा रही है। जिसके कारण ग्राहक देशी लहसुन की अपेक्षा बड़े बल्ब वाली लहसुन खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं। इसका एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि चीनी लहसुन के बल्ब बड़े होने के कारण इनको छीलना बेहद आसान होता है। भारत में लहसुन की पर्याप्त कीमत न मिलने का एक बहुत बड़ा कारण लहसुन के रकबे में लगतार वृद्धि भी है। जिसके कारण उत्पादन बढ़ा है और बाजार में डिमांड उस रूप से नहीं बढ़ी, जिससे लहसुन के दाम धरातल पर आ गए। अगर पिछले 3 सालों में गौर करें तो पूरे देश में लहसुन के रकबे में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है। जिन किसानों ने भी लहसुन की खेती में अच्छी मेहनत की है तथा इनपुट लागत के रूप में बड़ी रकम लगाई है, वो अब निराश हो चले हैं। राजस्थान के कोटा और झालावाड़ के लहसुन किसानों का कहना है कि उन्होंने पहले तो लहसुन की खेती में अच्छी खासी रकम खर्च कर दी है, उसके बाद लहसुन को 6 माह तक स्टोर करने में भी पैसा लगाया है। अब इसके विक्रय से लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।